भूगोल : चट्टानों का रूपांतरण (TRICK)
भूगोल : चट्टानों का रूपांतरण (TRICK)
पृथ्वी की सतह के कठोर भाग को चट्टान कहते हैं, जो पृथ्वी की बाहरी परत की संरचना की मूलभूत इकाइयाँ है। उत्पत्ति के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है-
1. आग्नेय चट्टान (IGNEOUS ROCK)
2. अवसादी चट्टान (SEDIMENTARY ROCK)
3. कायान्तरित चट्टान (METAMORPHIC ROCK)
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चट्टानों के तीनो प्रकारों के विवरण के साथ आज दिनांक 15/12/2015 को मैने कौन कौन सी आग्नेय चट्टानों एवं अवसादी चट्टानों का रूपांतरण कायान्तरित चट्टानों में होता है आपको TRICK द्वारा समझाऊंगा।
1. आग्नेय चट्टान (IGNEOUS ROCK)
2. अवसादी चट्टान (SEDIMENTARY ROCK)
3. कायान्तरित चट्टान (METAMORPHIC ROCK)
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चट्टानों के तीनो प्रकारों के विवरण के साथ आज दिनांक 15/12/2015 को मैने कौन कौन सी आग्नेय चट्टानों एवं अवसादी चट्टानों का रूपांतरण कायान्तरित चट्टानों में होता है आपको TRICK द्वारा समझाऊंगा।
IAS, SSC, UPSC,STATE PSC, VYAPAM, REET, CTET और CDS आदि जैसी परीक्षाओं में अक्सर इससे सबंधित प्रश्न पीछे जाते है।
चट्टानों का रूपांतरण : आग्नेय चट्टानों का कायान्तरित चट्टानों में
IMPORTANT FACT : ध्यान रहे इस ट्रिक में जब शब्दों को अगल/विच्छेदन किया जाता है तो प्रथम शब्द आग्नेय चट्टान का नाम तथा अंतिम शब्द कायान्तरित चट्टान का नाम व्यक्त करेगा अर्थात आग्नेय चट्टान का कायान्तरित चट्टान में रूपांतरण।
IMPORTANT FACT : ध्यान रहे इस ट्रिक में जब शब्दों को अगल/विच्छेदन किया जाता है तो प्रथम शब्द आग्नेय चट्टान का नाम तथा अंतिम शब्द कायान्तरित चट्टान का नाम व्यक्त करेगा अर्थात आग्नेय चट्टान का कायान्तरित चट्टान में रूपांतरण।
TRICK-"आका बीस गैस की गन बिग सन को दो"
Note : आपने अल्लादीन और उसके जीन के बारे में पटकथाओं में पढ़ा या टीवी सीरियल में देखा होगा। जीन अल्लादीन को आका कहकर संबोधित करता है तो हमारी ट्रिक में भी यही है आका मतलब मालिक, एक नौकर अपने मालिक/आका से कहता है की आपकी जो बिस(20) गैस की गन(बंदूक) आपके बिग सन(बड़े बेटे) को दो।
ट्रिक का विस्तृत्व विवरण :
आका = आ+का
1. आ+का : आग्नेय चट्टान का कायान्तरित चट्टान में रूपांतरण की ट्रिक
आका = आ+का
1. आ+का : आग्नेय चट्टान का कायान्तरित चट्टान में रूपांतरण की ट्रिक
बीस = बी+स
2. बी+स : बेसाल्ट-सिस्ट अर्थात बेसाल्ट चट्टान (आग्नेय चट्टान) का सिस्ट चट्टान (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
2. बी+स : बेसाल्ट-सिस्ट अर्थात बेसाल्ट चट्टान (आग्नेय चट्टान) का सिस्ट चट्टान (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
गैस = गै+स
3. गै+स : ग्रैबो-सरपेंटाइन अर्थात ग्रैबो चट्टान (आग्नेय चट्टान) का सरपेंटाइन चट्टान (कायान्तरित चट्टान) में रूपान्तरण
की-silent
3. गै+स : ग्रैबो-सरपेंटाइन अर्थात ग्रैबो चट्टान (आग्नेय चट्टान) का सरपेंटाइन चट्टान (कायान्तरित चट्टान) में रूपान्तरण
की-silent
गन = ग+न
4. ग+न : ग्रेनाइट-नीस अर्थात ग्रेनाइट चट्टान (आग्नेय चट्टान) का नीस चट्टान (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
4. ग+न : ग्रेनाइट-नीस अर्थात ग्रेनाइट चट्टान (आग्नेय चट्टान) का नीस चट्टान (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
बिग = बि+ग
5. बि+ग : बिटुमिनस कोयला-ग्रेफाइट अर्थात बिटुमिनस कोयला (आग्नेय चट्टान) का ग्रेफाइट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
5. बि+ग : बिटुमिनस कोयला-ग्रेफाइट अर्थात बिटुमिनस कोयला (आग्नेय चट्टान) का ग्रेफाइट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
सन = स+न
6. स+न : साइनाइट-नीस अर्थात साइनाइट (आग्नेय चट्टान) का साइनाइट नीस (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
6. स+न : साइनाइट-नीस अर्थात साइनाइट (आग्नेय चट्टान) का साइनाइट नीस (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
चट्टानों का रूपांतरण : अवसादी चट्टानों का कायान्तरित चट्टानों में
TRICK-"बालक ने शेल से आपका सीस चूम लिया(लिए)"
ट्रिक का विस्तृत्व विवरण :
बालक = बाल+क
1. बाल+क : बलुआ पत्थर-क्वार्टजाइट अर्थात
बलुआ पत्थर (अवसादी चट्टान) का क्वार्टजाइट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
ने-silent
बालक = बाल+क
1. बाल+क : बलुआ पत्थर-क्वार्टजाइट अर्थात
बलुआ पत्थर (अवसादी चट्टान) का क्वार्टजाइट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
ने-silent
शेल से = शेल+से
2. शेल+से : शेल-स्लेट अर्थात शेल (अवसादी चट्टान) का स्लेट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
2. शेल+से : शेल-स्लेट अर्थात शेल (अवसादी चट्टान) का स्लेट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
आपका = आप(अव)+का
3. आप+का : अवसादी चट्टान का कायान्तरित चट्टान में रूपांतरण की ट्रिक
3. आप+का : अवसादी चट्टान का कायान्तरित चट्टान में रूपांतरण की ट्रिक
सीस = सी+स
4. सी+स : सपिण्ड-सपिण्ड सिस्ट अर्थात सपिण्ड (अवसादी चट्टान) का सपिण्ड सिस्ट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
4. सी+स : सपिण्ड-सपिण्ड सिस्ट अर्थात सपिण्ड (अवसादी चट्टान) का सपिण्ड सिस्ट (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
चूम = चू+म
5. चू+म : चूना पत्थर-मरमर अर्थात चूना पत्थर (अवसादी चट्टान) का संगमरमर (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
5. चू+म : चूना पत्थर-मरमर अर्थात चूना पत्थर (अवसादी चट्टान) का संगमरमर (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
लिया(लिए) = लि+या(ए)
6. लि+या(ए) : लिग्नाइट कोयला-एंथ्रोसाइट कोयला अर्थात लिग्नाइट कोयला (अवसादी चट्टान) का एंथ्रोसाइट कोयला (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
6. लि+या(ए) : लिग्नाइट कोयला-एंथ्रोसाइट कोयला अर्थात लिग्नाइट कोयला (अवसादी चट्टान) का एंथ्रोसाइट कोयला (कायान्तरित चट्टान) में रूपांतरण
-By Singh
महत्त्वपूर्ण तथ्य :
आग्नेय चट्टान (IGNEOUS ROCK) :
1. यह मैग्मा या लावा के जमने से बनती है। जैसे-ग्रेनाइट, बेसाल्ट, पेग्माटाइट, डायोराइट, ग्रेबो आदि।
2. आग्नेय चट्टान स्थूल परतरहित, कठोर संघनन एवं जीवाश्मरहित होती है। आर्थिक रूप से यह बहुत ही संपन्न चट्टान है। इसमे चुम्बकीय लोहा, निकल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज़, सोना तथा प्लेटिनम पाए जाते है।
1. यह मैग्मा या लावा के जमने से बनती है। जैसे-ग्रेनाइट, बेसाल्ट, पेग्माटाइट, डायोराइट, ग्रेबो आदि।
2. आग्नेय चट्टान स्थूल परतरहित, कठोर संघनन एवं जीवाश्मरहित होती है। आर्थिक रूप से यह बहुत ही संपन्न चट्टान है। इसमे चुम्बकीय लोहा, निकल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज़, सोना तथा प्लेटिनम पाए जाते है।
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3. बैसाल्ट में लोहे की मात्रा सर्वाधिक होती है। इस चट्टान के क्षरण से काली मिट्टी का निर्माण होता है।
4. कोडरमा (झारखण्ड) में पाया जाने वाला अभ्रक पैग्माटाइट शैलो में मिलता है।
5. आग्नेय चट्टानी पिण्ड (IGNEOUS ROCK BODIES) : मैग्मा के ठंडा होकर ठोस रूप धारण करने से विभिन्न प्रकार के आग्नेय चट्टानी पिंड बनते है। इनका नामकरण इनके आकर, रूप, स्थिति तथा आस-पास पाई जाने वाली चट्टानों के आधार पर किया जाता है। अधिकांश चट्टानी पिंड अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानों से बनते है।
3. बैसाल्ट में लोहे की मात्रा सर्वाधिक होती है। इस चट्टान के क्षरण से काली मिट्टी का निर्माण होता है।
4. कोडरमा (झारखण्ड) में पाया जाने वाला अभ्रक पैग्माटाइट शैलो में मिलता है।
5. आग्नेय चट्टानी पिण्ड (IGNEOUS ROCK BODIES) : मैग्मा के ठंडा होकर ठोस रूप धारण करने से विभिन्न प्रकार के आग्नेय चट्टानी पिंड बनते है। इनका नामकरण इनके आकर, रूप, स्थिति तथा आस-पास पाई जाने वाली चट्टानों के आधार पर किया जाता है। अधिकांश चट्टानी पिंड अन्तर्वेधी आग्नेय चट्टानों से बनते है।
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(i). बैथोलिथ (BATHOLITH) : यह सबसे बड़ा आग्नेयी चट्टानी पिंड है, जो अन्तर्वेधी चट्टानों से बनता है। वास्तव में यह एक पातालिय पिंड है। यह एक बड़े गुम्बद के आकार का होता है जिसके किनारे खड़े होते है। इसकी ऊपरी तल विषम होती है। यह मूलतः ग्रेनाइट से बनता है। संयुक्त राज्य अमेरिका का इदाहो बैथोलिथ 40 हज़ार वर्ग किमी से भी अधिक विस्तृत्व है। कनाडा का कोस्ट रेंज बैथोलिथ इससे भी बड़ा है।
(ii). स्टॉक (STOCK) : छोटे आकार के बैथोलिथ को स्टॉक कहते है। स्टॉक का विस्तार 100 वर्ग किमी से कम होता है।
(i). बैथोलिथ (BATHOLITH) : यह सबसे बड़ा आग्नेयी चट्टानी पिंड है, जो अन्तर्वेधी चट्टानों से बनता है। वास्तव में यह एक पातालिय पिंड है। यह एक बड़े गुम्बद के आकार का होता है जिसके किनारे खड़े होते है। इसकी ऊपरी तल विषम होती है। यह मूलतः ग्रेनाइट से बनता है। संयुक्त राज्य अमेरिका का इदाहो बैथोलिथ 40 हज़ार वर्ग किमी से भी अधिक विस्तृत्व है। कनाडा का कोस्ट रेंज बैथोलिथ इससे भी बड़ा है।
(ii). स्टॉक (STOCK) : छोटे आकार के बैथोलिथ को स्टॉक कहते है। स्टॉक का विस्तार 100 वर्ग किमी से कम होता है।
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(iii). लैकोलिथ (LACOLITH) : जब मैग्मा ऊपर की परत को जोर से ऊपर को उठता है और गुम्बदकार रूप में जम जाता है तो इसे लैकोलिथ कहते है। मैग्मा के तेज़ी से ऊपर उठने के कारण यह गुम्बदाकार ठोस पिंड छतरीनुमा दिखाई देता है। उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में लैकोलिथ के कई उदाहरण मिलते है।
Note : लैकोलिथ बहिर्वेधी ज्वालामुखी पर्वत का ही एक अन्तर्वेधी प्रतिरूप है।
(iv). लैपोलिथ (LAPOLITH) : जब मैग्मा जमकर तस्तरीनुमा आकार ग्रहण का लेता है तो उसे लैपोलिथ कहते हैं। लैपोलिथ दक्षिण अमेरिका में मिलते हैं।
(iii). लैकोलिथ (LACOLITH) : जब मैग्मा ऊपर की परत को जोर से ऊपर को उठता है और गुम्बदकार रूप में जम जाता है तो इसे लैकोलिथ कहते है। मैग्मा के तेज़ी से ऊपर उठने के कारण यह गुम्बदाकार ठोस पिंड छतरीनुमा दिखाई देता है। उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में लैकोलिथ के कई उदाहरण मिलते है।
Note : लैकोलिथ बहिर्वेधी ज्वालामुखी पर्वत का ही एक अन्तर्वेधी प्रतिरूप है।
(iv). लैपोलिथ (LAPOLITH) : जब मैग्मा जमकर तस्तरीनुमा आकार ग्रहण का लेता है तो उसे लैपोलिथ कहते हैं। लैपोलिथ दक्षिण अमेरिका में मिलते हैं।
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(v). फैकोलिथ (PHACOLITH) : जब मैग्मा लहरदार आकृति में जमता है, तो फैकोलिथ कहलाता है।
(vi). सिल (SILL) : जब मैग्मा भू-पृष्ठ के सामानांतर परतो में फैलकर जमता है, तो उसे सिल कहते है। इसकी मोटाई एक मीटर से लेकर सेकड़ों मीटर तक होती है। छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में सील पाए जाते हैं। एक मीटर से कम मोटाई वाले सिल को शीट(SHEET) कहते हैं।
(vii). डाइक (DYKE OR DIKE) : जब मैग्मा किसी लंबवत दरार में जमता है तो डाइक कहलाता है। झारखंड के सिंहभूमि जिले में अनेक डाइक दिखाई देते हैं।
(v). फैकोलिथ (PHACOLITH) : जब मैग्मा लहरदार आकृति में जमता है, तो फैकोलिथ कहलाता है।
(vi). सिल (SILL) : जब मैग्मा भू-पृष्ठ के सामानांतर परतो में फैलकर जमता है, तो उसे सिल कहते है। इसकी मोटाई एक मीटर से लेकर सेकड़ों मीटर तक होती है। छत्तीसगढ़ तथा झारखंड में सील पाए जाते हैं। एक मीटर से कम मोटाई वाले सिल को शीट(SHEET) कहते हैं।
(vii). डाइक (DYKE OR DIKE) : जब मैग्मा किसी लंबवत दरार में जमता है तो डाइक कहलाता है। झारखंड के सिंहभूमि जिले में अनेक डाइक दिखाई देते हैं।
अवसादी चट्टान (SEDIMENTARY ROCK) :
प्रकृति के कारकों द्वारा जान निर्मित छोटी-छोटी चट्टाने किसी स्थान पर जमा हो जाती है और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारणों के द्वारा परत-जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती है। इन्हें ही अवसादी चट्टान कहते हैं। जैसे-बलुआ पत्थर, चुना पत्थर, स्लेट, कांग्लोमरेट, नमक की चट्टान एवं शेलखरी आदि।
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(i). अवसादी चट्टानें परतदार होती है। इनमें वनस्पति एवं जीव जंतुओं का जीवाश्म पाया जाता है। इन चट्टानों में लोह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला एवं सीमेंट बनने की चट्टान पाई जाती है।
(ii). खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतो के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो सकती है।
(i). अवसादी चट्टानें परतदार होती है। इनमें वनस्पति एवं जीव जंतुओं का जीवाश्म पाया जाता है। इन चट्टानों में लोह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला एवं सीमेंट बनने की चट्टान पाई जाती है।
(ii). खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतो के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो सकती है।
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(iii). दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनो की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
(iv). आगरा का किला तथा दिल्ली का लाल किला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों का बना है।
(iii). दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनो की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
(iv). आगरा का किला तथा दिल्ली का लाल किला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों का बना है।
कायान्तरित चट्टान (METAMORPHIC ROCK) : ताप, दाब एवं रासायनिक क्रियाओ के कारण आग्नेय एवं अवसादी चट्टानों से कायान्तरित चट्टान का निर्माण होता है।
-BY SINGH